भारत के संविधान और राष्ट्र वाक्य के रूप में "सत्यमेव जयते" लिखा होता है जिसका अर्थ है कि सच्चाई की जीत होती हैं।
पिछले काफी समय से वर्तमान सरकार के प्रभाव में भारतीय मीडिया जिस प्रकार झूठ और नफ़रत का बाज़ार सजा कर बैठा था उसकी आलोचना भी अक्सर सुनाई देती थी लेकिन कभी किसी ने इनके विरुद्ध कोई ठोस कदम उठाए हो इसका उदाहरण नहीं मिलता।
यह भारतीय मीडिया का ही करिश्मा था कि उसने नोट बन्दी के समर्थन में भारत सरकार की नीतियों का न केवल समर्थन किया अपितु दो हजार के नोट में माइक्रो चिप लगे होने जैसी अफवाहों को जन्म दिया।
इस कड़ी में जो सबसे बड़ा और शर्मनाक पहलू रहा है वो नेशनल मीडिया पर हिन्दू मुस्लिम के नाम पर घृणा फैलाने वाले कार्यक्रम प्रसारित करना और व्यर्थ की डिबेट्स के नाम पर समाज में अलगाववाद का जहर घोलने का कार्य।
भारत के हिंदी टीवी चैनल्स की लिस्ट में एक नाम ज़ी न्यूज का भी है जिसके उपर कई आर्थिक घालमेल और बैंकों का कर्ज वापिस ना करने के समाचार सोशल मीडिया पर दिखाई देते रहते है उसके मुख्य एडिटर्स में एक नाम सुधीर चौधरी का भी आता है जो एक बार किसी उद्योगपति से सौ करोड़ रूपए की ब्लैकमेलिंग के आरोप में जेल जा चुका है।
शुरुआती समय में भारतीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसी अभियुक्त को अपना पहला इंटरव्यू देकर विश्व को संकेत दिया था कि वो किसी की परवाह नहीं करते और अपने हितों के लिए अपराधियों को भी संरक्षण देने से पीछे नहीं हटते।
लेकिन आज जब विश्व एक छोटे से दायरे में सिमट चुका है तो ऐसा सोचना उनकी भूल साबित हुई।
क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्थितियां बदल चुकी हैं और अमेरिकी नेतृत्व में पश्चिमी जगत ने भी यूटर्न ले लिया तो भारतीय बौद्धिक वर्ग और नेताओ को सचेत हो जाना चाहिए था।
कुछ वर्ष पहले तक पूरी दुनिया में इस्लामिक आतंकवाद का शोर मचाने वाली ताकतों ने ही इस्लामोफोबिया के विरूद्ध आवाज़ उठानी शुरू कर दी थी और आधिकारिक तौर पर आतंकवाद की समाप्ति की घोषणा कर दी थी।
लेकिन क्योंकि सियासत और वर्चस्व की लड़ाई में कोई न कोई दुश्मन दिखाना जरूरी होता है तो सवाल उठा कि कम्युनिस्ट के बाद इस्लाम और इस्लाम के बाद अगला कौन ?
ऐसे में अगला निशाना भारत और भारत में फैले हिन्दुत्व वादी समूहों से बेहतर कौन हो सकता था लिहाजा NewsNumber.Com पर पूर्व में लिखी गई कई रिपोर्ट्स में भी जो आशंकाए जताई गई थी वो सामने आ रही है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन ने दुबई में अपना सलाना सेमिनार आयोजित किया था जिसमें ज़ी न्यूज के सुधीर चौधरी को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया और उसके हिस्सा लेने के समाचारों को प्रकाशित भी कर दिया।
लेकिन UAE की राजकुमारी ने इसे गंभीरता से लेते हुए आयोजको को फटकार लगाई और सुधीर चौधरी को बकौल उनके इस्लाम विरोधी झूट फैलाने वाला तथा वैचारिक आतंकी" तक करार दिया।
शहजादी की आपत्ति के बाद आयोजको ने सुधीर चौधरी का आमंत्रण रद्द करते हुए उसे अपनी लिस्ट से बाहर निकाल दिया तथा इसकी सूचना सार्वजनिक कर दी।
एक प्रकार से यह दुबई की शहजादी के आरोपों को स्वीकार करना ही माना जा सकता है अर्थात पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया कि भारतीय टीवी चैनल्स द्वारा हिन्दुत्व की आड़ में न केवल नफरत फैलाई जाती हैं अपितु इसे आतंकवाद सरीखा समझा जा सकता है जो भारत के किसी नागरिक के विरूद्ध पहली बार हुआ है।
यदि ऐसा ही चलता रहा तो हो सकता है कि भारतीय हिंदुओ को बार बार कसम खा कर कहना पड़े " I am Indian Hindu but not Hindutva supporter"
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