किसी भी लोकतंत्र के चार प्रमुख स्तम्भ माने जाते है और उसमे भी ज्यूडिशरी को इसलिए अहमियत दी जाती हैं कि जब भी मानवाधिकारों और लोकतंत्र को खतरा होने का अहसास होता है तो न्यायालय ही जनता की अंतिम उम्मीद होती हैं।
लेकिन यदि अदालतें ही बिक जाए और जज साहब अपने निजी स्वार्थों के कारण या किसी दबाव में या ब्लैक मेल होकर राजनेताओं के इशारे पर नंगे नाचने लगे तो लोकतंत्र को मजबूत कैसे समझा जा सकता है ?
भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में पंचायतों की सदियों पुरानी परम्परा रही हैं और वो सफल भी थी क्योंकि समाज बहुत फैला हुआ नहीं था और इंसान का जमीर भी मरा नहीं था तभी तो मुंशी प्रेमचंद ने पंच परमेश्वर लिखने की हिम्मत दिखाई थी।
धीरे धीरे अंग्रेजों ने नई व्यवस्थाएं दी जिसे थियोर्टिकली तो दुरुस्त समझना चाहिए बेशक व्यवहार और किताबों में अंतर साफ नजर आता है। इसी डर को देखते हुए अदालतों को विशेष अधिकार दिए गए और किसी के द्वारा अदालतों की आलोचना करना या उन पर उंगली उठाना दंडनीय अपराध बना दिया गया।
लेकिन फिर भी यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक मंच पर चीफ जस्टिस के सामने ही उनकी आलोचना करने की हिम्मत दिखा दे तो क्या स्थिति होगी इसका नमूना कल पाकिस्तान में वहां की प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील रही स्वर्गीय आसमां जाहंगीर के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में नजर आया।
मोहतरमा ( मरहूम ) आसमां जांहगीर साहिबा के सम्मान में एक सेमिनार आयोजित किया गया " Role of judiciary in protecting human rights and strengthen democracy"
इसमें अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अतिरिक्त हाई कोर्ट इस्लामाबाद के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मीनान अल्लाह, पंजाब ( पाकिस्तान ) के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गुलज़ार भी उपस्थित थे और इन्हीं के बीच सुप्रीम कोर्ट ऑफ पाकिस्तान की बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अली अहमद कुर्द बोलने के लिए उठे।
उन्होंने सीधे शब्दों में ज्यूडिशरी के बिक जाने तथा जजो के अपने निजी स्वार्थों या दबावों के कारण राजनेताओं के इशारे पर निर्णय लेने का इल्जाम लगाते हुए बुद्धिजीवी वर्ग को समाप्त करने का आरोप भी लगाया और अपने भाषण का अंत "Intellectual class was finished" वाक्य से किया।
निसंदेह इसके बाद सभी के भाषण बदल गए और एक ओर तो चीफ जस्टिस ऑफ पंजाब जनाब गुलजार साहब ने अपने जजों और फैसलों के हवाले अपनी ईमानदारी सिद्ध करने का प्रयास किया दूसरी ओर इस्लामाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मिनान अल्लाह ने एक सीमा तक अली अहमद कुर्द से सहमति जताई।
विवाद की शुरुआत गत दिनों पूर्व मुख्य न्यायाधीश गिलगिट बाल्टिस्तान जस्टिस राणा शमीम के हलफनामे से हुई जिसमें उन्होंने पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस साकिब निसार पर आरोप लगाया कि इमरान खान के इशारे पर उन्होंने अपने आधीन कार्यरत न्यायाधीश को फोन करके दबाव बनाया था कि मध्यावधि चुनाव से पहले पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एवम् उनकी बेटी मरियम नवाज़ की जमानत मंजूर न करें और ऐसा ही हुआ।
हालांकि राणा शमीम साहब के हलफनामे में वहां के नवाब मलिक जैसों ने बहुत सी गलतियां निकाल कर झूठा साबित कर दिया तथा राणा शमीम पर अदालत की अवमानना का केस भी दर्ज हो गया लेकिन एक बार तो जनता के मन में संदेह पैदा हो ही गया और न्याय की साख पर बट्टा लग गया।
वैसे भी क्योंकि जस्टिस साकिब निसार साहब पर कभी मी टू का आरोप भी नहीं लगा और न उन्हे वहां की सीनेट में सदस्यता प्राप्त हुई तो सम्भव है कि उन पर लगे आरोप झूठे ही हो वैसे भी भारतीय उपमहाद्वीप में बड़े लोगो के जमीर नौकरी से रिटायर होने के बाद ही जागते हैं या जब उन्हे एक्सटेंशन नहीं मिलता ( सीनेट पाकिस्तान का उपरी सदन होता है जैसा ब्रिटेन का हाउस ऑफ लॉर्ड्स या भारत की राज्यसभा )
कहते है कि बद अच्छा बदनाम बुरा और यदि वास्तव में बुद्धिजीवियों को राजनेताओं द्वारा समाप्त किया जा रहा है, जनता की सोचने तथा सवाल पूछने की हिम्मत और ताकत को खत्म किया जा रहा है और अदालतों का जमीर बिक रहा है तो पाकिस्तानी जनता को अली अहमद कुर्द की जिंदादिली और हिम्मत को सलाम करना चाहिए।
#jokeoftheday #newsnumberflash ...
#thoughtoftheday #newsnumberflash ...
#suvichar #newsnumberflash ...
#gurbanishabadvichar #newsnumberflash ...
#dahej #newsnumberflash ...
#girlpower #newsnumberflash ...
#savetree #newsnumberflash ...
#milk #newsnumberflash ...
#usedustbins #newsnumberflash ...
#wood #newsnumberflash ...
#saveforest #newsnumberflash ...
#heart #newsnumberflash ...
#respectlabour #newsnumberflash ...
#sukha #newsnumberflash ...
#shrikrishnavani #newsnumberflash ...
#holamohalla #newsnumberflash ...
#gurbanishabadvichar #newsnumberflash ...
#childlabour #newsnumberflash ...
#dahej #newsnumberflash ...
#thoughtoftheday #newsnumberflash ...
#suvichar #newsnumberflash ...