भारतवर्ष में आस्था से परिपूर्ण चैत्र नवरात्रों के शुरु होने में अब कुछ दिन ही शेष हैं। इन नौ दिनों माँ दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इसका वास्तुशास्त्र में भी अपना अलग ही महत्व है। ऐसा भी माना जाता है कि माँ दुर्गा के नौ रूप नौ ग्रहों से जुड़े हैं और इस तरह प्रत्येक ग्रह माँ आदिशक्ति के किसी न किसी रूप का प्रतिनिधि ग्रह माना जाता है। वास्तुशास्त्र में भी नवरात्र पूजन की भव्य महिमा का वर्णन किया गया है। यदि नवरात्र पूजन पूरी विधि के अनुसार किया जाए तो इससे वास्तु के कई प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है। वास्तुशास्त्र में ईशान यानी उत्तर-पूर्व को पूजा स्थल के लिए शुभ स्थान बताया गया है। इसलिए भक्तजन इस दिशा में पूजा स्थल या नवरात्र के लिए कलश स्थापित कर सकते हैं। मान्यता के अनुसार पूजा के उत्तम फल और वास्तुशांति के लिए देवी-देवता से संबंधित दिशा में ही पूजन किया जाए तो वह पूजा अधिक लाभकारी सिद्ध होती है।